UP GK for POLICE, LEKHPAL, VDO EXAMS (उ.प्र. में वन्य जीव)
उ.प्र. में वन्य जीव
देश के प्रथम वन्य जीव परिरक्षण संगठन की स्थापना उ.प्र. में वर्ष 1956 में की गई थी। वन्य जीव परिरक्षण संगठन का प्रमुख कार्य प्रदेश में वन्य जीवों की सुरक्षा तथा आधुनिक एवं वैज्ञानिक पद्धति से सघन वन्य जीव प्रबंध, साथ ही राष्ट्रीय उघानों, वन्य विहारों एवं पक्षी विहारों का विकास करना हैं।
v देश में वन्य जीवों के संरक्षण की सर्वोच्च संस्था भारतीय वन्य जीव बोर्ड हैं।
v भारतीय वन्य जीव बोर्ड का अध्यक्ष प्रधानमंत्री होता हैं।
v भारत में वन्य प्राणी (सुरक्षा) अधिनियम वर्ष 1972 में पारित किया गया।
v ‘वन’ तथा ‘वन्य प्राणी’ विषम समवर्ती सूची में वर्ष 1976 में 42वें संविधान संशोधन के द्वारा सम्मिलित किए गए।
v उ.प्र. में तेंदुआ, जंगली सुअर, हाथी, रीछ, हिरन, चीतल, सांभर, गीदड, खरगोश, लोमडी आदि जीव जंतु पाए जाते हैं।
v उ.प्र. में सामान्यत: पाए जाने वाले पक्षी हैं- कौआ, कबूतर, बगुला, सारस, कठफोडवा, तोता, मैना, बुलबुल।
v उ.प्र. का राजकीय पशु बारहसिंहा हैं।
v उ.प्र. का राजकीय पक्षी सारस अथवा क्रौंच हैं।
v उ.प्र. के राजकीय चिह्र पर मछली एवं तीर-धनुष की आकृति हैं।
v उ.प्र. में मछलियों की प्रमुख प्रजातियां- मत्सेय, हिलसा, सौल, तेगन, पडहिन, रसेला, वित्तल, रोहू, ब्रिगाल, कट्टा, लाबी, मांगुर, क्यूचिपा, ईल, सिंघी एवं ट्राऊट हैं।
v राष्ट्रीय जलजीव (National Aquatic Animal) घोषित ‘गंगा डॉल्फिन’ उ.प्र. के मिर्जापुर एवं सोनभद्र जिलों में गंगा नदी में पाई जाती हैं।
v इसे स्थानीय भाषा में ‘सुइस’ या ‘सुसू’ कहा जाता हैं।
v डाल्फिन जनगणना, 2015 के अनुसार उत्तर प्रदेश में गंगा डाल्फिनों की कुल संख्या 1263 हैं।
v भारत सरकार तथा राज्य सरकार द्वारा 70 : 30 के अनुपात में नेशनल प्लान कार कन्जर्वेशन एक्वेटिक ईकों सिस्टम वर्ष 2013-14 से क्रियान्वित की जा रही हैं।
v उ.प्र. में हाथी तराई एवं शिवालिक के गिरिपदों में पाया जाता हैं।
v भारत सरकार द्वारा चलाए जा रहे प्रोजेक्ट एलीफैंट के तहत उत्तर प्रदेश में तीन वन प्रभागों, शिवालिक, बिजनौर सामाजिक वानिकी एवं प्रजीबाबाद वन प्रभाग, जिनमें हाथियों की संख्या अधिक हैं, चिन्हित किए गए हैं।
v उ.प्र. में चिंकारा विंध्य के जंगलों में पाया जाता हैं।
v प्रथम तेंदुआ जनगणना के अनुसार उत्तर-प्रदेश की कुल संख्या 194 हैं।
v उ.प्र. में शेर एवं गैंडा पशु लुप्त होते जा रहे हैं।
v उ.प्र. में गैंडा तराई क्षेत्र में पाया जाता हैं।
v उ.प्र. मेकं कुकरैल वन लखनऊ के समीप स्थित हैं।
v कुकरैल वन में 1984-85 से लुप्त प्रजातियों हेतु एक प्रजनन केंद्र स्थापित किया गया हैं।
v भूरा रीछ तथा कस्तूरी हिरन उ.प्र. के हिमालयी क्षेत्रों के समीप पाया जाता हैं।
v प्रदेश का सबसे पुराना वन्य जीव विहार चंद्रप्रभा उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले में स्थित हैं।
v उ.प्र. में एकमात्र राष्ट्रीय उघान दुधवा (टाइगर रिजर्व) हैं।
v दुधवा राष्ट्रीय उघान उ.प्र. के लखीमपुर खीरी जिले में स्थित हैं।
v दुधवा राष्ट्रीय उघान का कुल क्षेत्रफल 490 वर्ग किमी. हैं।
उत्तर प्रदेश के पक्षी विहार | ||||
क्र. | पक्षी विहार | स्थापना वर्ष | जनपद | क्षेत्रफल (वर्ग किमी.) |
1 | नवाबगंज पक्षी विहार | 1984 | उन्नाव | 2.25 |
2 | समसपुर पक्षी विहार | 1987 | रायबरेली | 8.00 |
3 | लाख बहोशी पक्षी विहार | 1988 | कन्नौज | 80.23 |
4 | ओखला पक्षी विहार | 1990 | गौ. बुद्ध नगर | 4.00 |
5 | बखीरा पक्षी विहार | 1990 | संत कबीर नगर | 28.94 |
6 | सांडी पक्षी विहार | 1990 | हरदोई | 3.09 |
7 | डॉ. भीमराव अम्बेडर पक्षी विहार | 2003 | प्रतापगढ | 4.27 |
उत्तर प्रदेश के वन्य जीव विहार | ||||
वन्य जीव विहार | क्षेत्रफल (वर्ग किमी.) | संबंधित जिला विशेष पशु पक्षी | ||
चंद्रप्रभा वन्य जीव विहार | 96 | चंदौली-चिंकारा, सांभर, तेंदुआ तथा विभिन्न तरह के पक्षी | ||
किशनपुर वन्य जीव विहार | 227 | लखीमपुर खीरी-चीता, तेंदुआ, हिरन | ||
कतरनियाघाट वन्य जीव विहार | 400.09 | बहराइच-दुर्लभ मैदानी जीव | ||
रानीपुर वन्य जीव विहार | 230 | बांदा- विभिन्न प्राणी | ||
महावीर स्वामी वन्य जीव विहार | 5.41 | ललितपुर- बंदर, मोर | ||
चंबल वन्य जीव विहार | 635 | आगरा एवं इटावा- घडियाल, डॉल्फिन मछली | ||
कैमूर वन्य जीव विहार | 500.74 | मिर्जापुर एवं सोनभद्र- चीता, तेंदुआ, चिंकारा, काला हिरन, | ||
हस्तिनापुर वन्य जीव विहार | 2073 | मेरठ, गाजियाबाद, हापुड, बिजनौर, अमरोहा, मुजफ्फरनगर- लकडबग्घा, मगरमच्छ, चीतल | ||
सोहागी बरवा वन्य जीव विहार | 428 | महराजगंज | ||
सोहेलवा वन्य जीव विहार | 452 | बलरामपुर, गोंडा, श्रावस्ती | ||
कछुवा वन्य जीव विहार | 7 | वाराणसी | ||
पीलीभीत वन्य जीव विहार | 603 | पीलीभीत | ||
समान वन्य जीव विहार | 5.26 | मैनपुरी | ||
जयप्रकाश नारायण (सुरहा ताल) वन्य जीव विहार | 34.13 | बलिया | ||
सूर सरोवर वन्य जीव विहार | 4.10 | आगरा | ||
विजय सागर वन्य जीव विहार | 2.62 | महोबा | ||
पटना वन्य जीव विहार | 1.11 | एटा | ||
पार्वती अरंगा वन्य जीव विहार | 10.85 | गोंडा | ||
ध्यातव्य हैं कि कुछ पक्षी विहारों को वन्य जीव विहार में परिवर्तित कर दिया गया हैं। |
v 1968 में स्थापित इस विहार को 1977 में राष्ट्रीय पार्क का दर्जा प्रदान किया गया।
v दुघवा राष्ट्रीय पार्क को वर्ष 1987-88 में बाघ परियोजना में शामिल किया गया।
v कलांतर में किशनपुर वन्यजीव बिहार एवं कतर्नियाघाट वन्य जीव विहार को भी इससे संबद्ध कर इसे दुधवा टाइगर रिजर्व नाम दिया गया।
v इस बाघ अभयारण्य का विस्तार लखीमपुर एवं बहराइच जिलें में हैं।
v 9 जून, 2014 को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पीलीभीत वन्य जीव अभयारण्य को बाघ अभयारण्य का दर्जा प्रदान किया गया।
v पीलीभीत बाघ अभयारण्य उत्तर प्रदेश के पीलीभीत एवं शाहजहांपुर जिले में विस्तृत हैं।
नोट- उ.प्र. सरकार ने अपनी आधिकारिक विज्ञप्तियों में यह घोषित किया हैं कि उ.प्र. में 3 बाघ अभयारण्य हैं- 1. दुधवा 2. अमनगढ 3. पीलीभीत। वस्तुत: अमनगढ एक बफर जोन हैं और केंद्र सरकार के प्रकाशनों में इसे बाघ अभयारण्य के रूप में सूचीबद्ध नहीं किया गया हैं। इस बाघ अभयारण्यों की सूची में 47वें क्रम पर कार्बेट बाघ अभयारण्य के बफर जोन के रूप में दर्शाया गया हैं। भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के अनुसार कोर क्षेत्र को राष्ट्रीय पार्क या अभयारण्य को विधिक दर्जा प्राप्त होता हैं जबकि बफर या परिधीय क्षेत्र वन या गैर-वनभूमि का मिश्रण होते हैं तथा इनका प्रबंध बहुउपयोग क्षेत्र के रूप में किया जाता हैं।
v उ.प्र. के प्रमुख चिडियाघरों की देखभाल ‘केंद्रीय चिडियाघर प्राधिकरण’ करता हैं।
v वन्य प्राणी सुरक्षा सप्ताह प्रत्येक वर्ष 1-7 अक्टूबर के दौरान मनाया जाता हैं।
v रेड डाटा बुक का संबंध संकटग्रस्त और विलुप्तप्राय जीवों के विवरण से हैं।
v पीपुल्स पार्क एंड वाइल्ड लाइफ बुक में वन्य जीव संरक्षण आंदोलन हेतु अति महत्वपूर्ण जानकारयिां दी गई हैं।
v उ.प्र. सरकार ने पटना पक्षी विहार (एटा) को अभयारण्य घोषित किया हैं।
v उत्तर प्रदेश में स्थापित दो प्राणी उघान कानपुर एवं लखनऊ में स्थित हैं।
v प्रदेश के गोरखपुर में शहीद असफाक उल्ला खां केक नाम पर एक प्राणी उघान की स्थापना की जा रही हैं।
v राष्ट्रीय पक्षी मोर के संरक्षण के लिए मथुरा के वृंदावन में मयूर संरक्षण केंद्र स्थापित किया जा रहा हैं।
v मगरमच्छ एवं घडियालों के लिए उ.प्र. सरकार द्वारा ‘घडियाल प्रजनन एवं पुनर्वास योजना’ चलाई जा रही हैं।
v गंगा नदी प्रदूषण निवारण के लिए कछुओं के विस्तार से संबंधित ‘कछुआ पुनर्वास योजना’ का संचालन उ.प्र. सरकार द्वारा किया जा रहा हैं।
v ईकों डेवलपमेंट योजना संरक्षित वन क्षेत्रों के निकट वन उपज को विकसित करने की योजना हैं।
v इंग्लैंड के लांगलीट सफारी मार्ग (Longleat Safari Park) से अभिप्रेरित होकर उत्तर प्रदेश के जनपद इटावा में बब्बर शेर प्रजनन केंद्र एवं लॉयन सफारी पार्क विकसित किया जा रहा हैं।
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