UP GK for POLICE, LEKHPAL, VDO EXAMS (उत्‍तर प्रदेश में कृषि)

 उत्‍तर प्रदेश में कृषि 







        






      उत्‍तर प्रदेश की अर्थव्‍यवस्‍था में कृषि का महत्‍वपूर्ण योगदान हैं। जनगणना 2011 के अंतिम आंकडों के अनुसार उ.प्र. राज्‍य कें कुल कर्मकारों में कृषि कर्मकारों का योगदान 29.3 प्रतिशत हैं जिसमें कुल कृषि श्रमिक (दीर्घकालिक एवं अल्‍पकालिक) 30.3 प्रतिशत एवं कुल कृषक (दीर्घकालिक एवं अल्‍पकालिक 29.0 प्रतिशत) हैं। राज्‍य अर्थव्‍यवस्‍था में कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र का भाग 26.7 प्रतिशत (2017-18A.E. में GSVA में, चालू कीमतों पर) हैं। यही कारण हैं कि उ.प्र. में ‘कृषि को अर्थव्‍यवस्‍था का मेरूदंड’ कहा जाता हैं। देश के कुल खाघान्‍न उत्‍पादन में सभी राज्‍यों में उत्‍तर प्रदेश का स्‍थान प्रथम हैं।

  v  प्रदेश में औसत जोत आकार 0.76 हेक्‍टेयर हैं।
  v  प्रदेश में 9 कृषि-जलवायु प्रदेशों में बांटा गया हैं।
  v  कृषि-जलवायु प्रदेशों के वर्गीकरण के आधार मृदा, वर्षा, तापमान, जल एवं मानव संसाधन हैं।
  v  2012-13 के आंकडों के आधार पर देश की कुल कृषि योग्‍य भूमि (1,81,950 हजार हेक्‍टेयर) का लगभग 10.48 प्रतिशत (19075 हजार हेक्‍टेयर) भाग उ.प्र. के अंतर्गत आता हैं।
  v  2013-14 में शुद्ध बोया गया क्षेत्रफल 16,546 हजार हेक्‍टेयर था जबकि कुल बोया क्षेत्रफल 25,896 हजार हेक्‍टेयर था।
  v  2014-15 में फसल सघनता (Cropping Intensity) 157.53 प्रतिशत थीं।
  v  कृषि गणना 2010-11 चरण-II (भारत सरकार) के अनुसार उत्‍तर प्रदेश में कुल जोतों में एकेक्‍टेयर से कम आकार वाली जोतों का प्रतिशत 79.45 (राष्‍ट्रीय औसत 67.10 प्रतिशत) तथा प्रति जोत क्षेत्र 0.76 हेक्‍टेयर (राष्‍ट्रीय औसत 10.15 हेक्‍टेयर) था।
  v  वर्ष 2010-11 में देश की कुल 138.35 मिलियन क्रियाशील जोतों में से सर्वाधिक संख्‍या में जोंते (23.33 मिलियन) उत्‍तर प्रदेश में हैं।
  v  राष्‍ट्रीय खाघ सुरक्षा मिशन के तहत उत्‍तर प्रदेश में चावल घटक के तहत 23 जिलें गेहॅू घटक के तहत 39 जिले, दलहन घटक के तहत 72 जिलें एवं मोटे अनाज घटक के तहत 20 जिले शामिल हैं।

उत्‍तर प्रदेश के कृषि जलवायु अंचलों का विवरण    
जोन संख्‍या
जोन का नाम
जलवायु
मृदा प्रकार
औसत वर्षा मि.मी.
तापमान अधिकतम
डिग्री. से न्‍यूनतम
1
तराई क्षेत्र
उपोष्‍ण
दोमट, मटियार दोमट
1015.4
41
1.5
2
पश्चिमी मैदानी क्षेत्र
उपोष्‍ण
दोमट, मटियार दोमट, बलुई
751.7
43
1.5
3
मध्‍य पश्चिमी मैदानी क्षेत्र
उपोष्‍ण
दोमट, मटियार दोमट, बलुई दोमट
1022.2
45
4.5
4
दक्षिण पश्चिमी अर्द्ध शुष्‍क क्षेत्र
अर्द्ध शुष्‍क
जलोढ अरावली, दोमट, बलुई दोमट
663.3
44
4
5
मध्‍य मैदानी क्षेत्र
सम शीतोष्‍ण
चिकनी दोमट, दोमट, बलुई दोमट
848.2
43
4
6
बुन्‍देलखण्‍ड क्षेत्र
अर्द्ध शुष्‍क
अर्द्ध शुष्‍क मार, कावर, राकर, पडवा
876.1
46
5
7
उत्‍तर पूर्वी मैदानी क्षेत्र
सम शीतोष्‍ण
दोमट, मटियार, दोमट, दियारा भाट, बलुई दोमट
1218.3
40
6
8
पूर्वी मैदानी क्षेत्र
सम शीतोष्‍ण
सिल्‍टी दोमट, मटियार, दोमट, बलुई दोमट
1016.0
42
5
9
विन्‍ध्‍य क्षेत्र
सम शीतोष्‍ण
मटियार दोमट, बलुई, बलुई दोमट, मटियार
1134.1
48
3

राज्‍य कृषि नीति, 2013
v  पूर्व में लागू राज्‍य कृषि नीति, 2005 में कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 4 प्रतिशत रखी गयी थीं। कृषि नीति 2005 के क्रियान्‍वयन की क्रियायें 7 मुख्‍य क्षेत्रों प्रसार, सिंचाई, एवं जल प्रबंधन, मृदा स्‍वास्‍थ्‍य एवं उर्वरता, बीज प्रबंधन, विपणन, शोध एवं कृषि विविधीकरण जिसे ‘सप्‍त क्रांति’ कहा गया, पर आधारित थी। 11वीं पंचवर्षीय योजना में कृषि क्षेत्र के नियोजित 4 प्रतिशत वृद्धि दर के सापेक्ष मात्र 3.00 प्रतिशत वृद्धि दर प्राप्‍त हुई। वर्तमान में राज्‍य कृषि नीति, 2013 लागु हैं जिनकी मुख्‍य बातें निम्‍न हैं।

परिकल्‍पना (Vission)
v  प्रदेश को देश के खाघान्‍न भंडार के रूप में परिवर्तित कर खाघ एवं पोषक तत्‍व सुरक्षा ग्रामीण जीवन में गुणात्‍मक सुधार कर ग्रामीण जनमानस की बिना पर्यावरणीय क्षरण के आर्थिक वृद्धि एवं खुशहाली को सुनिश्चित करना।

उद्देश्‍य (Objectives)
v  कृषि क्षेत्र में 5.1 प्रतिशत की वृद्धि दर प्राप्‍त करना।
v  समुचित इकोफ्रैंडली (पर्यावरण हितैषी) कृषि पद्धति को विकसित एवं बहु प्रचारित कर मृदा स्‍वास्‍थ्‍य में सुधार एवं कृषक परिवार की आय में वृद्धि करना।
v  पारिस्थितिकीय संतुलन को बनाये रखते हुए प्राकृतिक संसाधनों का विकास एवं संरक्षण।
v  खाघ एवं पोषण के मुख्‍य आधार को बनाये रखते हुए कृषि विविधीकरण के माध्‍यम से उच्‍च मूल्‍य वर्धित क्रियाओं द्वारा कृषकों की आय में वृद्धि करना।
v  बीज, उर्वरक, कीटनाशक, कृषि यंत्र, प्रसार सेवायें, खाघ प्रसंस्‍करण एवं विपणन की आधारभूत सुविधाओं के विकास में समझौता खेती के माध्‍यम से निजी क्षेत्र को बढावा देना।

कार्यपूर्ति संकेतक
v  नीति की प्रगति एवं प्राप्ति की समीक्षा नियमित अंतराल पर निम्‍नलिखित मुख्‍य प्राप्ति संकेतकों के आधार पर की जायेगी-
v  सतत् आधार पर कृषि उत्‍पादन एवं उत्‍पादकता में वृद्धि।
v  गुणात्‍मक उत्‍पादकता में वृद्धि।
v  प्राकृतिक संसाधनों की सतत् प्रास्थिति अथवा सुधार।
v  मृदा में सूक्ष्‍म तत्‍वों की कमी के स्‍तर में कमी।
v  सकल एवं शुद्ध सिं‍चित क्षेत्र में वृद्धि।
v  फसल सघनता में वृद्धि।
v  ग्रामीण क्षेत्रों में नये कृषि उघोगों एवं वि‍पणन केन्‍द्रों की स्‍थापना
v  प्रति व्‍यक्ति एवं परिवार की आय में वृद्धि।
v  एक अनुमान के अनुसार वर्ष 2016-17 के अन्‍त तक प्रदेश की जनसंख्‍या 22.15 करोड होगी जिसके लिए 307.18 लाख मिट्रिक टन धान्‍य अनाज, 57.51 लाख मिट्रिक टन दलहन एवं 44.75 लाख मिट्रिक टन तिलहन की आवश्‍यकता होगी।

खाघान्‍न उत्‍पादन चतुर्थ अग्रिम अनुमान 2015-16
  v  उ.प्र. से भारत के समग्र खाघान्‍न उत्‍पादन का 17 प्रतिशत भाग (कुल 44.01 मिलियन टन: 2015-16 के च.अ.अ. आंकडों के अनुसार) उत्‍पादित किया जाता हैं।
  v  खाघान्‍न उत्‍पादन की दृष्टि से उ.प्र. देश के राज्‍यों में प्रथम स्‍थान पर हैं तथा मध्‍य प्रदेश दूसरे एवं पंजाब तीसरे स्‍थान पर हैं।
  v  उ.प्र. गेहॅू, गन्‍ना तथा आलू के उत्‍पादन में देश में प्रथम स्‍थान पर हैं।
  v  ‘प्रयोगशाला से खेतों तक’ कार्यक्रम का शुभारंभ उ.प्र. राज्‍य द्वारा किया गया हैं।
  v  उ.प्र. में वर्ष भर में कुल तीन प्रकार की फसलें पैदा की जाती हैं-
(1)     रबी की फसलें
(2)     खरीफ की फसलें
(3)     जायद की फसलें
  v  रबी की फसल के अंतर्गत गेहूं, जौ, मटर, चना, तंबाकू, सरसों, लाही एवं आलू आदि फसलें उगाई जाती हैं।
  v  खरीफ की फसल के अंतर्गत चावल, गन्‍ना, ज्‍वार, बाजरा, मक्‍का, कपास, सनई एवं कुछ दलहन फसलों का उत्‍पादन भी किया जाता हैं।
  v  जायद की फसल के अंतर्गत तंबाकू, खरबूजा, तरबूज, ककडी, काशीफल एवं प्‍याज का उत्‍पादन किया जाता हैं।
गेहूं
v  2014-15 में उ.प्र. में गेहूं की उत्‍पादकता 2561 किग्रा. प्रति हेक्‍टेयर एवं 2015-16 (चतुर्थ अ.अ.) में गेहूं रबी 2786 किग्रा. प्रति हेक्‍टेयर हैं।
v  2015-16 में उत्‍तर प्रदेश में गेहूं की खेती का क्षेत्र 9.65 मिलियन हे, हैं जो कि संपूर्ण देश के गेहूं की खेती के क्षेत्र का 31.90 प्रतिशत हैं।
v  2015-16 में उ.प्र. में गेहूं का उत्‍पादन 26.87 मिलियन टन (2014-15 में 25.2 मिलियन टन) हैं जो कि अखिल भारत के गेहूं उत्‍पादन का 29 प्रतिशत (2013-14 में 31.18 प्रतिशत) हैं।
v  उ.प्र. में गेहूं की बुआई अक्टूबर-नवंबर माह में की जाती हैं।
v  उ.प्र. में मुख्‍यत: साधारण रोटी का गेहूं पैदा किया जाता हैं।
v  उ.प्र. में गेहूं की फसल की कटाई मार्च-अप्रैल माह में की जाती हैं।
v  उ.प्र. के जिन जिलों में गेहूं प्रमुख रूप से पैदा किया जाता हैं, वे इस प्रकार हैं- मेरठ, बुलंदशहर, सहारनपुर, आगरा, अलीगढ, मुजफ्फरनगर, मुरादाबाद, इटावा, कानपुर, फर्रूखाबाद एवं फतेहपुर।
v  उ.प्र. के दक्षिणी पठारी क्षेत्र में गेहूं की कृषि नहीं की जाती हैं।

चावल
v  2015-16 में उ.प्र. के 5.87 मिलियन हेक्‍टेयर क्षेत्र पर चावल की कृषि की गई हैं।
v  2015-16 में उ.प्र. में चावल की उत्‍पादकता 2132 किग्रा. प्रति हेक्‍टेयर हैं, वर्ष 2014-15 में 2082 किग्रा. प्रति हेक्‍टेयर थी।

वर्ष 2015-16 (चतुर्थ अग्रिम अनुमान) में मुख्‍य फसलों के उत्‍पादन में उत्‍तर प्रदेश एवं भारत की स्थिति
फसलें
राज्‍य
उत्‍पादन (मिलियन टन में)
देश में उ.प्र. का प्रतिशत हिस्‍सा
देश में स्‍थान
चावल
उत्‍तर प्रदेश
12.51
11.99
द्वितीय
गेहूं
उत्‍तर प्रदेश
26.87
28.74
प्रथम
कुल अनाज
उत्‍तर प्रदेश
44.01
17.45
प्रथम
गन्‍ना
उत्‍तर प्रदेश
145.39
41.28
प्रथम

  v  2015-16 में उ.प्र. में चावल की खेती का क्षेत्र 5.87 मिलियन हेक्‍टेयर हैं जो कि संपूर्ण भारत में चावल की खेती के क्षेत्र का सर्वाधिक हिस्‍सा (13.53 प्रतिशत) हैं।
  v  2015-16 में उ.प्र. में चावल का उत्‍पादन 12.5 मिलियन टन (2014-15 में 12.2 मिलियन टन) अनुमानित हैं जो कि अखिल भारत के चावल उत्‍पादन का 12 प्रतिशत (2014-15 में 11.7 प्रतिशत) हैं।
  v  उ.प्र. में धान की बुआई मई-जून माह में की जाती हैं तथा इसे सितंबर-अक्‍टूबर माह में काटा जाता हैं।
  v  उ.प्र. के प्रमुख चावल उत्‍पादक जिले-पी‍लीभीत, सहारनपुर, महराजगंज, देवरिया, गोंडा, बहराइच, बस्‍ती, रायबरेली, मऊ, बलिया, लखनऊ, वाराणसी और गोरखपुर हैं।

बाजरा
  v  उ.प्र. में बाजरा की खेती मुख्‍यत: 20 सेमी. से कम वर्षा वाले क्षेत्रों में की जाती हैं।
  v  उ.प्र. में बाजरा मई से जुलाई माह के मध्‍य बोया जाता हैं तथा सितंबर से दिसंबर माह के मध्‍य काटा जाता हैं।
  v  उ.प्र. में बाजरा के प्रमुख उत्‍पादक जिले आगरा, मथुरा, बदायूं, अलीगढ, मुरादाबाद, एटा, फिरोजाबाद, मैनपुरी, इटावा, शाहजहांपुर, प्रतापगढ, गाजीपुर, फर्रूखाबाद और कानपुर हैं।

मक्‍का
v  उ.प्र. में मक्‍का मई-जून में बोया जाता हैं एवं अगस्‍त-सितंबर में काटा जाता हैं।
v  उ.प्र. में प्रमुख मक्‍का उत्‍पादक जिले मेरठ, गाजियाबाद, आजमगढ, बुलंदशहर, फर्रूखाबाद, बहराइच, गोंडा, जौनपुर, एटा, फिरोजाबाद, एवं मैनपुरी हैं।

जौ
  v  उ.प्र. में जौ की खेती मुख्‍यत: वाराणसी, आजमगढ, जौनपुर, बलिया, मऊ, गा‍जीपुर, गोरखपुर, इलाहाबाद एवं प्रतापगढ जिलों में की जाती हैं।
  v  उ.प्र. में जौ की कृषि शुष्‍क एवं कॉप मृदा में की जाती हैं।
  v  उ.प्र. में जौ गरीब लोगों का प्रमुख खाघान्‍न हैं।

चना
  v  चने की कृषि उ.प्र. के हल्‍की दोमट तथा शुष्‍क मिट्टी वाले भागों में की जाती हैं।
  v  उ.प्र. के प्रमुख चना उत्‍पादक जिले ललितपुर, बांदा, हमीरपुर, झांसी, जालौन, मिर्जापुर, सोनभद्र, कानपुर, फतेहपुर, सीतापुर एवं बाराबंकी हैं।
  v  सर्वाधिक चना बुंदेलखंड क्षेत्र में पैदा होता हैं।

अरहर
v  उ.प्र. के प्रमुख अरहर उत्‍पादक जिले वाराणसी, झांसी, ललितपुर, इलाहाबाद एवं लखनऊ हैं।
v  उ.प्र. में अधिकांशत: अरहर के साथ ज्‍वार एवं बाजरा की फसलें भी बोई जाती हैं।

गन्‍ना
  v  2015-16 में उ.प्र. में गन्‍ने की उत्‍पादकता 67029 किग्रा. प्रति हेक्‍टेयर थी।
  v  2015-16 में गन्‍ने की खेती का क्षेत्र उ.प्र. में 2169 हजार हेक्‍टेयर हैं जो कि संपूर्ण भारत में गन्‍ने की खेती के क्षेत्र का 43.84 प्रतिशत हैं।
  v  2015-16 में उ.प्र. में गन्‍ने का उत्‍पादन 145.38 मिलियन टन (2014-15 में 138.5 मिलियन टन) हैं जो कि अखिल भारत के गन्‍ना उत्‍पादन का 41 प्रतिशत (2014-15 में 38.5 प्रतिशत) हैं।
  v  उ.प्र. में गन्‍ना उत्‍पादक दो प्रमुख क्षेत्र तराई एवं गंगा-यमुना दोआब हैं।
  v  तराई क्षेत्र के प्रमुख गन्‍ना उत्‍पादक जिले रामपुर, बरेली, पीलीभीत, सीतापुर, लखीमपुर खीरी, गोंडा, बस्‍ती, बलिया, महराजगंज, देवरिया एवं गोरखपुर हैं।
  v  दोआब क्षेत्र के प्रमुख गन्‍ना उत्‍पादक जिले मेरठ, गाजियाबाद, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, बुलंदशहर, अलीगढ एवं मुरादाबाद (हापुड, शामली एवं संभल भी) हैं।
  v  उ.प्र. के मेरठ जिले का गन्‍ना उत्‍तम कोटि का माना जाता हैं।
  v  प्रदेश में सर्वाधिक महत्‍वपूर्ण नकदी फसल गन्‍ना हैं जो सर्वाधिक सिंचित भी हैं।

मूंगफली
v  मूंगफली की कृषि मुख्‍यत: खरीफ फसल के अंतर्गत की जाती हैं।
v  मूंगफली की फसल जून-जुलाई में बोई जाती हैं एवं नवंबर-दिसंबर में खोद ली जाती हैं।
v  उ.प्र. में मूंगफली के प्रमुख उत्‍पादक जिले सीतापुर, हरदोई, एटा, मुरादाबाद और बदायूं हैं।  

सरसों
v  सरसों की फसल मुख्‍यत: रबी ऋतु की फसल हैं।
v  उ.प्र. के प्रमुख सरसों के उत्‍पादक जिले गोंडा, बहराइच, मिर्जापुर, सोनभद्र, कानपुर, सीतापुर, सहारनपुर, एटा, मरेठ, फैजाबाद, इटावा, सुल्‍तानपुर, मथुरा, अलीगढ एवं बुलंदशहर हैं।

कपास
v  उ.प्र. के कपास के प्रमुख उत्‍पादक क्षेत्र- गंगा-यमुना दोआब, रूहेलखंड और बुंदेलखंड हैं।
v  उ.प्र. के प्रमुख कपास उत्‍पादक जिले कानपुर, इटावा, एटा, बुलंदशहर, अलीगढ, मथुरा, रामपुर, बरेली एवं फर्रूखाबाद हैं।
v  उ.प्र. में कपास की मुख्‍यत: यू.पी. देशी, बंगाल की कपास, धौलेटा, पंजाब एवं अमेरिकन किस्‍मों का उत्‍पादन किया जाता हैं।
v  कपास की फसल की बुआई जून-जुलाई में की जाती हैं।
कृषि से संबंधित अन्‍य महत्‍वपूर्ण तथ्‍य
   v  आम के उत्‍पादन में (लखनऊ, सहारनपुर, बुलंदशहर)
   v  गन्‍ने के उत्‍पादन में (तराई क्षेत्र)
   v  आंवला (प्रतापगढ, इलाहाबाद)
   v  अमरूद (का क्रमश: शाहजहांपुर एवं फर्रूखाबाद जिलों में सर्वाधिक उत्‍पादन)
   v  हल्‍दी (बुंदेलखंड क्षेत्र)
   v  अफीम- बाराबंकी
   v  आलू निर्यात जोन आगरा में हैं।
   v  अमरूद के लिए प्रशिक्षण एवं  प्रयोग केंद्र इलाहाबाद में हैं।
   v  गाजीपुर में राज्‍य की एमात्र अफीम फैक्‍ट्री हैं।
   v  आम के लिए प्रशिक्षण एवं प्रयोग केंद्र लखनऊ में अवस्थित हैं।
   v  प्रदेश के तीन कृषि निर्यात क्षेत्र लखनऊ (आम), सहारनपुर (आम) एवं आगरा (आलू) में हैं।
   v  प्रदेश में फूलों की खेत वाराणसी, कन्‍नौज, लखनऊ, इलाहाबाद, मिर्जापुर, और जौनपुर जिलों में की जाती हैं।
   v  संपूर्ण भारत में स्‍थापित 9 आदर्श पुष्‍पोत्‍पादन केंद्रों में से एक लखनऊ में स्‍थापित हैं।
   v  कन्‍नौज में पुष्‍प इत्र बनाया जाता हैं।
   v  प्रदेश में 1974 में उघान एवं प्रस्‍संकरण विभाग की स्‍थापना हुई।
   v  प्रदेश में कृषि क्षेत्र में औघोगिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केंद्र बस्‍ती, सहारनपुर, लखनऊ, इलाहाबाद  तथा झांसी में स्‍थापित किया गया हैं।             
  v  उ.प्र. में कपास की खेती के साथ मुख्‍यत: मेथी, मूंग, बरसीम, तोरिया एवं क्‍लोवर की फसलें बोई जाती हैं।

जूट
v  उ.प्र. के प्रमुख जूट उत्‍पादक क्षेत्र सरयू एवं घाघरा के दोआब हैं।
v  उ.प्र. के प्रमुख जूट उत्‍पादक जिले बहराइच, महराजगंज, देवरिया, गोंडा, सीतापुर, लखीमपुर खीरी, रायबरेली तथा गोरखपुर हैं।
v  उ.प्र. में मुख्‍यत: देशी किस्‍म की जूट पैदा की जाती हैं।

अलसी
  v  अलसी का उत्‍पादन मुख्‍यत: उ.प्र. के मिर्जापुर, सोनभद्र, इलाहाबाद, गोंडा, बहराइच और हमीरपुर जिलों में होता हैं।

तंबाकू
  v  उ.प्र. के प्रमुख तंबाकू उत्‍पादक जिले वाराणसी, मेरठ, गाजियाबाद, बुलंदशहर, मैनपुरी, सहारनपुर एवं फर्रूखाबाद हैं।

फल उत्‍पाद
  v  उ.प्र. के मैदानी भागों में मुख्‍यत: आम, अमरूद, पपीता, अंगूर, बेर, बेल, केला, अन्‍नानास और नींबू के फलों का उत्‍पादन किया जाता हैं।
  v  उ.प्र. के तराई क्षेत्र में सेब, नाशपाती, आडू, खुबानी, स्‍ट्रॉबेरी, चेरी, अखरोट, आदि फलों की खेती की जाती हैं।
  v  केले का उत्‍पादन उ.प्र. के वाराणसी, इलाहाबाद और गोरखपुर जिलों में किया जाता हैं।
  v  उ.प्र. में केले की उत्‍पादित की जाने वाली प्रमुख किस्‍में माल- भोग, चीनी, चंपा, अलफान, अधेश्‍वर, तथा दूधसागर हैं।
  v  उ.प्र. के प्रमुख आम उत्‍पादक जिले लखनऊ, बरेली, मेरठ, वाराणसी, गाजि‍याबाद, कानपुर, सहारनपुर, और मेरठ में होता हैं।
  v  प्रदेश में स्‍टेम आम का उत्‍पादन सहारनपुर और मेरठ में होता हैं।
  v  लंगडा आम मुख्‍य रूप से वाराणसी में पैदा होता हैं।
  v  दशहरी आम के उत्‍पादन में उत्‍तर प्रदेश अग्रणी हैं जो मुख्‍य रूप से मलीहाबादी क्षेत्र (लखनऊ के समीपवर्ती क्षेत्र) में उत्‍पादन किया जाता हैं।
  v  उ.प्र. के सहारनपुर जिले में संतरे का उत्‍पादन किया जाता हैं।
  v  उ.प्र. में संतरे की नागपुरी एम्‍पदर तथा लड्डू किस्‍मों का उत्‍पादन किया जाता हैं।
  v  अमरूद का उत्‍पादन मुख्‍यत: इलाहाबाद, कौशाम्‍बी, बदायूं, कानपुर, बरेली और फैजाबाद जिलों में किया जाता हैं।
  v  इलाहाबाद सफेदा, लखनऊ- 49 (सरदार) ललित सुर्खा आदि अमरूद की प्रमुख किस्‍में हैं।
  v  माल्‍टा का उत्‍पादन उ.प्र. के मेरठ, वाराणसी एवं सहारनपुर जिलों में किया जाता हैं।
  v  उ.प्र. के प्रमुख लीची उत्‍पादक जिले सहारनपुर एवं मेरठ हैं।
  v  उ.प्र. का प्रमुख आंवला उत्‍पादक जिला प्रतापगढ हैं।
  v  उ.प्र. में देश के कुल आंवला उत्‍पादन का 60 प्रतिशत से अधिक भाग उत्‍पादित किया जाता हैं।

पान उत्‍पादन
  v  उत्‍तर प्रदेश में उत्‍पादित पान की प्रमुख प्रजातियां हैं- महोबा, देशावरी, कलकतिया, कपूरी, बंग्‍ला, मगही, सांची, बनारसी, सोफिया, मीठा एवं रामटेक।
  v  पान प्रयोग एवं प्रशिक्षण केंद्र महोबा में स्थित हैं।

नोट- नवगठित जिलों के संदर्भित आंकडे अभी अनुपलब्‍ध हैं-
उ.प्र. फसल चक्र

पूर्वी उत्‍तर प्रदेश के लिए                पश्चिमी उत्‍तर प्रदेश के लिए         बुंदेलखंड क्षेत्र के लिए
धान-मसूर                            मक्‍का-आलू-प्‍याज                ज्‍वार-अरहर
ज्‍वार + अरहर-गेहूं                      मक्‍का-आलू-गेहूं                  ज्‍वार + चना
धान-मटर                            धान-गेहूं अथवा जौं        ज्‍वार + अरहर, परती गेहूं, तिल अलसी
धान या मक्‍का गेहूं                     ज्‍वार-गेहूं                         कोदो – चना
धान-गेहूं + सरसों                       मक्‍का-आलू-गन्‍ना                    ज्‍वार-जौ
धान-जौ
गन्‍ना, हरी खाद    
 
  





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