UP GK for POLICE, LEKHPAL, VDO EXAMS ( उत्‍तर प्रदेश : भौगोलिक स्थिति )

 उत्‍तर प्रदेश : भौगोलिक स्थिति 













          उत्‍तर प्रदेश भारत का सीमांत राज्‍य हैं जिसकी उत्‍तरी सीमा नेपाल को स्‍पर्श करती हैं। उत्‍तराखंड के गठन के पूर्व इसकी सीमाएं चीन के तिब्‍बत क्षेत्र से भी जुडी थीं। प्राकृतिक रूप से उत्‍तर प्रदेश के उत्‍तर में हिमालय की शिवालिक श्रेणियां: पश्चिम, दक्षिण-पश्चिम एवं दक्षिण में यमुना नदी तथा विंध्‍य श्रेणियां और पूर्व में गंडक नदी हैं।   

अवस्थिति :-
  Ø  भूगर्भिक दृष्टि से उ.प्र. प्राचीनतम गोंडवाना लैंड का भूभाग हैं।
  Ø  उ.प्र. के दक्षिण भाग में स्थित पठारी भाग प्रायद्वीपीय भाग का ही अंग हैं जिसका निर्माण विंध्‍य क्रम की शैलों द्वारा प्री-कैम्ब्रियन युग में हुआ हैं।
  Ø  उ.प्र. का आक्षांशीय विस्‍तार 23052’ से 31028’ उत्‍तरी अक्षांश के मध्‍य हैं।
  Ø  कुल अक्षांशीय विस्‍तार 7036’ हैं।
  Ø  उ.प्र. का देशांतरीय विस्‍तार 7703’ पूर्व से 84039’  पूर्वी देशांतर के मध्‍य हैं।
  Ø  प्रदेश का कुल देशांतरीय विस्‍तार 7009’ हैं।  
  Ø  उ.प्र. की सीमाएं केंद्र शासित प्रदेश दिल्‍ली सहित कुल 9 राज्‍यों/‍केंद्र शासित प्रदेश से लगी हुई हैं।
  Ø  उ.प्र. की सीमा को स्‍पर्श करने वाले राज्‍य हैं- हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, राजस्‍थान, मध्‍य प्रदेश, छत्‍तीशगढ, झारखंड, बिहार एंव उत्‍तराखंड।
  Ø  उ.प्र. की सीमा को स्‍पर्श करने वाला एकमात्र केंद्र शासित प्रदेश दिल्‍ली हैं। इसकी सीमाएं उ.प्र. के गा‍जियाबाद एवं गौतमबुद्ध नगर से लगी हुई हैं।
  Ø  प्रदेश की पूर्वी सीमा बिहार एवं झारखंड से लगी हुई हैं।
  Ø  प्रदेश की उत्‍तरी सीमा नेपाल के अतिरिक्‍त उत्‍तराखंड एवं हिमाचल प्रदेश से लगी हुई हैं।

उ.प्र. एवं सीमावर्ती राज्‍य :-
Ø  उ.प्र. की पश्चिमी हरियाणा, राजस्‍थान तथा केंद्र शासित प्रदेश दिल्‍ली से लगी हैं।
Ø  उ.प्र. की दक्षिणी सीमाएं मध्‍य प्रदेश एवं छत्‍तीसगढ को स्‍पर्श करती हैं।
Ø  उ.प्र. की सबसे लंबी सीमा मध्‍य प्रदेश से स्‍पर्श करती हैं।
Ø  उ.प्र. की न्‍यूनतम सीमा रेखा को स्‍पर्श करने वाला राज्‍य हिमाचल प्रदेश हैं।
Ø  उ.प्र. का एकमात्र जिला सहारनपुर हैं जिसकी सीमा हिमाचल प्रदेश से लगती हैं। इसके अतिरिक्‍त इस जिले की सीमा हरियाणा एवं उत्‍तराखंड से भी लगी हैं।
Ø  उ.प्र. के सर्वाधिक 11 जिलों को र्स्‍पश करने वाला राज्‍य मध्‍य प्रदेश हैं।
Ø  सर्वाधिक 4 प्रदेशों को स्‍पर्श करने वाला उ.प्र. का एक मात्र जिला सोनभद्र हैं। यह मध्‍य प्रदेश, छत्‍तीसगढ, झारंखड एवं बिहार को स्‍पर्श करता हैं।
Ø  प्रदेश के सबसे कम जिलों को स्‍पर्श करने वाला जिला ललितपुर हैं।
Ø  मध्‍य-प्रदेश से तीन तरफ से घिरा जिला ललितपुर हैं।
Ø  प्रदेश के सर्वाधिक जिलों को स्‍पर्श करने वाला जिला बदायूं (9 जिले) हैं।
Ø  उ.प्र. के सीमा को स्‍पर्श करने वाला एकमात्र विदेशी राष्‍ट्र नेपाल हैं।
Ø  उ.प्र. के 7 जिलों (पूर्व से पश्चिम की ओर क्रमश: महराजगंज, सिद्धार्थ नगर, बलरामपुर, श्रावस्‍ती, बहराइच, खीरी एवं पीलीभीत) की सीमा नेपाल को स्‍पर्श करती हैं।

विभिन्‍न राज्‍यों से लगे उत्‍तर प्रदेश के जिले
हिमाचल प्रदेश
सहारनपुर
हरियाणा
सहारनपुर, शामली, बागपत, गौतमबुद्ध नगर, अलीगढ, मथुरा
राजस्‍थान
मथुरा, आगरा
मध्‍य प्रदेश
सोनभद्र, मिर्जापुर, इलाहाबाद, चित्रकूट, बांदा, महोबा, झांसी, ललितपुर, आगरा, इटावा, जालौन
छत्‍तीसगढ
सोनभद्र
झारखंड
सोनभद्र
बिहार
महराजगंज, कुशीनगर, देवरिया, बलिया, गाजीपुर, चंदौली, सोनभद्र
उत्‍तराखंड
सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, मुरादाबाद, रामपुर, बरेली, रामपुर, बरेली, पीलीभीत
के.शा.प्र. दिल्‍ली
गाजियाबाद एवं गौतमबुद्ध नगर

  Ø  उ.प्र. का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 2,40,928 वर्ग किमी. हैं, जो कि भारत के कुल क्षेत्रफल (32,87,240 वर्ग किमी.) के लगभग 7.33 प्रतिशत के बराबर हैं।
  Ø  पूर्व से पश्चिम तक इसकी लंबाई 650 किमी. तथा उत्‍तर से दक्षिण तक चौडाई 240 किमी. हैं।
  Ø  क्षेत्रफल की दृष्टि से उ.प्र. का भारत में चौथा स्‍थान हैं।
  Ø  उ.प्र. से अधिक क्षेत्रफल वाले राज्‍य हैं- राजस्‍थान, मध्‍य प्रदेश एवं महाराष्‍ट्र।
  Ø  उ.प्र. का वर्तमान भौगोलिक स्‍वरूप 9 नवंबर, 2000 को अस्तित्‍व में आया हैं।
  Ø  9 नवंबर, 2000 को उ.प्र. के 13 पर्वतीय जिलों को काटकर उत्‍तरांचल (अब उत्‍तराखंड) राज्‍य का निर्माण किया गया हैं।  
  Ø  सर्वाधिक क्षेत्रफल वाले 4 जिले (अवरोही क्रम में)- लखीमपुर खीरी (7680 वर्ग किमी.), -सोनभद्र (6905 वर्ग किमी.), हरदोई (5986 वर्ग किमी.) एवं सीतापुर (5743 किमी.)
  Ø  सबसे कम क्षेत्रफल वाले 4 जिले (आरोही क्रम)- हापुड (660 वर्ग किमी.), गाजियाबाद (910 वर्ग किमी.), संत रविदास नगर (1,015 वर्ग किमी.) एवं शामली (1,043 वर्ग किमी.)।

नोट:- ये आंकडे उ.प्र. सांयिख्‍की पत्रिका संस्‍करण-2012 के अनुसार हैं।
  Ø  प्रदेश के सबसे पूर्वी एंव पश्चिमी जिले क्रमश: बलिया एवं शामली हैं।
  Ø  प्रदेश के सबसे उत्‍तरी एवं दक्षिणी जिले क्रमश: सहारनपुर एवं सोनभद्र हैं।
  Ø  राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र में सम्मिलित उत्‍तर प्रदेश के जिले गाजियाबाद, हापुड, मेरठ, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, मुजफ्फरनगर, शामली एवं बागपत हैं।

भौतिक विभाग
Ø  उत्तराखंड के गठन से पूर्व राज्‍य के तीन भूभाग थे- पर्वतीय क्षेत्र, मैदानी क्षेत्र और दक्षिण का पठारी क्षेत्र। परंतु उत्‍तराखंड के गठन के बाद पूरा पर्वतीय क्षेत्र, उत्‍तर प्रदेश से अलग हो गया हैं और अब इस पर्वतीय क्षेत्र से लगा हुआ भाबर-तराई क्षेत्र ही उत्‍तर प्रदेश में बचा हुआ हैं।
Ø  उ.प्र. को वर्तमान में मुख्‍यत: तीन प्राकृतिक प्रदेशों में विभाजित किया गया हैं- (1) भाबर एवं तराई का प्रदेश (2) गंगा-यमुना का मैदान एवं (3) दक्षिण का पठारी प्रदेश।

भाबर एवं तराई प्रदेश
       पश्चिम में सहारनपुर से लेकर पूर्व में देवरिया एवं कुशीनगर (पडरौना) तक एक पतली सी पट्टी भाबर और तराई कहलाती हैं।
  Ø  भाबर क्षेत्र में नदियां लुप्‍त हो जाती हैं जो तराई क्षेत्र में फिर से प्रकट होती हैं।
  Ø  भाबर क्षेत्र में जलोढ पंख और जलोढ शंकु जैसी नदी से निर्मित स्‍थलाकृतियां बनती हैं।
  Ø  भाबर क्षेत्र वह पर्वतीय भूभाग हैं जो कंकड-पत्‍थरों से निर्मित हैं।
  Ø  इस क्षेत्र का विस्‍तार उ.प्र. के बिजनौर, सहारनपुर, पीलीभीत शाहजहांपुर एवं लखीमपुर खीरी जिलों में हैं।
  Ø  पश्चिम में यह क्षेत्र 34 किमी. चौडा हैं परंतु पूर्व की ओर बढने के साथ यह संकरा होता जाता हैं।
  Ø  तराई क्षेत्र, भाबर के दक्षिण में दलदली एवं गाद मिट्टी वाला क्षेत्र हैं जो महीन अवसादों से निर्मित हैं।
  Ø घने जंगल और लंबे हाथी घासों से ढका हुआ तराई क्षेत्र कभी 80 से 90 किमी. तक चौडा था तथा इसके अंतर्गत सहारनपुर, बिजनौर, रामपुर, बरेली, पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, बहराइच, गोंडा, बस्‍ती, सिद्धार्थ नगर, गोरखपुर, महराजगंज, देवरिया और कुशीनगर जिलों के भाग आते थे। इधर कुछ वर्षो से भूमि सुधार कार्यों के कारण इसकी चौडाई काफी कम हो गई हैं जिससे इसका काफी भाग उपजाऊ भूमि के रूप में किसानों को प्राप्‍त हो गया हैं। अब यहां गन्‍ना, गेहॅू और धान की फसलें रिकॉर्ड पैदावार दे रहीं हैं। अनेक जगहों पर जूट की भी अच्‍छी खेती हो रही हैं।
  Ø  प्रदेश के ऊंचाई वाले भागों में मिलने वाली प्राचीनतम जलोढ मिट्टी को राढ (Rarh) नाम से जाना जाता हैं।
  Ø  भाबर क्षेत्र और दक्षिणी-पूर्वी क्षेत्र को छोडकर पूरा प्रदेश नदियों द्वारा बाढ के दौरान लाई गई कॉप मृदा से बना हैं।

गंगा-यमुना के विस्‍तृत मैदानी प्रदेश
            इसको तीन उप-विभागों में बांटा गया हैं- (1) गंगा-यमुना का ऊपरी मैदान (2) गंगा का मध्‍य मैदानी प्रदेश एवं (3) गंगा का पूर्वी मैदान
  Ø  गंगा-यमुना के ऊपरी मैदान का विस्‍तार लगभग 500 किमी. लंबी एवं 80 किमी. चौडी पट्टी के रूप में हैं।
  Ø  गंगा-यमुना के मध्‍य मैदानी प्रदेश का विस्‍तार उ.प्र. के सहारनपुर, बिजनौर, मेरठ, मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर, अलीगढ, हाथरस, मथुरा, आगरा, मैनपुरी, एटा, बदायूं, मुरादाबाद तथा बरेली जिलों में मिलता हैं।
  Ø  गंगा के पूर्वी मैदान का विस्‍तार उ.प्र. के वाराणसी, जौनपुर, गाजीपुर, आजमगढ, बलिया, मिर्जापुर, सोनभद्र एवं संत रविदास नगर में हैं।
  Ø  गंगा-यमुना के मैदान का निर्माण कॉप मिट्टी से हुआ हैं।
  Ø  गंगा-यमुना के विस्‍तृत मैदानी प्रदेश की समुद्र तल से औसत ऊंचाई 300 मी. हैं।
  Ø  इस विस्‍तृत मैदानी प्रदेश का निर्माण अभिनूतन एवं अतिनूतन युग में नदी घाटी में अवसादीकरण से हुआ हैं।
  Ø  इस विस्‍तृत मैदानी प्रदेश का ढाल पश्मिांचल में उत्‍तर से दक्षिण की ओर तथा पूर्वांचल में पश्चिमोत्‍तर से दक्षिण-पूर्व की ओर हैं।

दक्षिण का पठारी प्रदेश
  Ø  उ.प्र. में दक्षिण पठारी प्रदेश का कुल क्षेत्रफल 45200 वर्ग किमी. हैं।
  Ø  दक्षिण पठारी प्रदेश के अंतर्गत बुंदेलखंड एवं बघेलखंड के भू-भाग सम्मिलित हैं।
  Ø  यह क्षेत्र दक्‍कन के पठार का ही प्रसरण है तथा इस भूभाग की उत्‍तरी सीमा यमुना तथा गंगा नदी द्वारा निर्धारित हैं तथा दक्षिणी सीमा विंध्‍य पर्वत द्वारा निर्धारित होती हैं। पूर्व में केन नदी तथा पश्चिम में बेतवा तथा पाहुज नदियां इसकी सीमा निर्धारित करती हैं।
  Ø  इसके अंतर्गत झांसी, जालौन, हमीरपुर, महोबा, चित्रकूट, ललितपुर, और बांदा जिले, इलाहाबाद जिले की मेजा और करछना तहसीलें, गंगा के दक्षिण में पडने वाला मिर्जापुर का हिस्‍सा तथा चंदौली जिले की चकिया तहसील आती हैं।
  Ø  इस पठारी क्षेत्र की सामान्‍य ऊंचाई 300 मीटर के आसपास हैं तथा कुछ स्‍थानों पर यह ऊंचाई 450 मीटर से भी अधिक हैं। मिर्जापुर, सोनभद्र जिले के कुछ स्‍थानों पर कैमूर और सोनाकार की पहा‍डियां लगभग 600 मीटर तक ऊॅची हैं।
  Ø  बुंदेलखंड का निर्माण उ.प्र. के दक्षिणी उच्‍च प्रदेश में विंध्‍य काल की प्राचीनतम नीस चट्टानों द्वारा तथा निम्‍न प्रदेशों में नदियों द्वारा निक्षेपित मिट्टी से हुआ हैं।
  Ø  बुंदेलखंड के पश्चिमी भाग में काली मृदा (रेगुर) का विस्‍तार हैं जो मालवा पठार का ही विस्‍तार हैं।
  Ø  कैमूर श्रृंखला बुंदेलखंड से लगी हुई हैं। इसकी रचना विंध्‍य शैलों से हुई हैं।
  Ø  बुंदेलखंड में ‘च्‍लास’ नामक घास बहुतायत में पायी जाती हैं।
  Ø  बुंदेलखंड क्षेत्र में शंक्‍वाकार टीले बहुतायत से मिलते हैं।
  Ø  बघेलखंड क्षेत्र की प्रमुख नदी सोन नदी हैं।
  Ø  बघेलखंड के उत्‍तर एवं दक्षिण में क्रमश: सोनपुर एवं रामगढ की पहाडियां अवस्थित हैं।
  Ø  दक्षिण पठारी प्रदेश की औसत ऊंचाई 300 मीटर हैं।
  Ø  दक्षिण पठारी प्रदेश की ढाल दक्षिण्‍स से उत्‍तर की ओर हैं।
  Ø  दक्षिण पठारी प्रदेश की प्रमुख नदियां चंबल, बेतवा, केन, सोन, एवं टोंस हैं।
  Ø  कम वर्षा के कारण इस पठारी क्षेत्र में वृक्ष-वनस्‍पतियों छोटी होती हैं। यहां की मुख्‍य फसलें ज्‍वार, तिलहन, चना और गेहॅू हैं।       
  


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